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डाइवर्सिटी शाला क्या है ?

डाइवर्सिटी शाला, शिक्षकों, काउंसलर, प्रिंसिपल, अभिभावकों, देखभाल-कर्ताओं और दूसरे लोग जो शिक्षा के छेत्र से जुड़े हैं उनके लिए खुद के विकास का एक मौका है।

​प्रोग्राम के द्वारा, पार्टिसिपेंट्स शिक्षा के छेत्र में डाइवर्सिटी और इन्क्लूज़न का काम कर पाने के लिए खुद के गुणों (स्किल्स) को बेहतर करते हैं। ये प्रोग्राम नेशनल सीड प्रोजेक्ट (वेल्लेस्ले कॉलेज, USA)  के दिए गए फ्रेमवर्क पर आधारित है और प्रतिभागियों के लिए बहुसांस्कृतिक रूप से न्यायसंगत, सामाजिक-आर्थिक रूप से जागरूक और विश्व स्तर पर सूचित कार्यक्षेत्र बनाने के लिए प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करता है।

चल रहे पेंडेमिक के दौरान हम जिस तरह से खुद को नए वातावरण के लिए तैयार कर रहे हैं, हम समझते हैं की ऐसे में विविधता (डाइवर्सिटी), और समावेश (इन्क्लूज़न) पर काम करना और ज़रूरी हो जाता है।  

ये प्रोग्राम किसके लिए है?
यह प्रोग्राम शिक्षकों, परामर्शदाताओं (काउंसलर), सामाजिक कार्यकर्ताओं, प्राचार्यों, अभिभावकों, शिक्षा अधिकारियों आदि के लिए एक अच्छा विकल्प है, जो विभिन्न पहचान वाले युवाओं के लिए समावेशी स्थान बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कितने सेशन्स? कब और कहाँ? 
कितने सेशन्स?
३ घंटे के १० सेशंस, कुल ३० घंटे

कहाँ?
सारे सेशंस ज़ूम ऐप पर ऑनलाइन होंगे।


कब?
डाइवर्सिटी शाला अधिकतर ९:३० से १२:३० (भारतीय समय के अनुसार), महीने के ४थे या ५वे शनिवार को होता है।
  • पहले ६ सेशन के दिन:
    २६ जून
    २४ जुलाई
    २८ अगस्त
    २५ सितम्बर
    २३ अक्टूबर
    २७ नवम्बर
  • टर्म २ के ४ सेशन के दिन अक्टूबर में शेयर किये जाएंगे।
डाइवर्सिटी शाला के प्रतिभागियों से क्या उम्मीद है?
  • सभी सेशंस में भाग लें। 
  • सेशन के दौरान पूरी तरह भागीदारी निभाएं। 
  • सुनिश्चित करें कि आपके पास इंटरनेट-वाली-डिवाइस (फ़ोन या लैपटॉप, इत्यादि) पर जूम इंस्टॉल है।
पार्टिसिपेशन शुल्क
पूरे प्रोग्राम की फीस १२,००० रुपये है। इस अंतर्गत वर्कशॉप, ट्रेनिंग के मटेरियल, डाइवर्सिटी और इन्क्लूज़न के रिसोर्स, और पार्टिसिपेंट को सपोर्ट शामिल है।

शुल्क के लिए सपोर्ट: उन पार्टिसिपेंट्स के लिए जो इस वक़्त पूरी फीस न दे सकें उनके लिए नीचे कुछ दूसरे उपाय हैं:

  • पहला उपाय:
    पार्टिसिपेंट्स २-३ इन्स्टालमेन्ट में अपनी फीस मई से सितम्बर के बीच दे सकते हैं।
  • दूसरा उपाय:
    ​जो पार्टिसिपेंट्स इसको करने के बहुत इच्छुक हैं पर किन्ही कारणों से पूरी फीस न भर पाएं, उनके लिए लिमिटेड स्कॉलरशिप की व्यवस्था की जायेगी। इसका निर्णय अपनी शाला टीम लेगी। अगर आप स्कॉलरशिप के ऑप्शन डिसकस करना चाहे तो फॉर्म में उस ऑप्शन को चुन लें। अपनी शाला टीम आपको रीच आउट करेगी।
फसिलटैटर्स 
सारे वर्कशॉप्स अमृता नायर और अपनी शाला टीम फैसिलिटेट करेगी।  

अमृता नायर, डायरेक्टर ऑफ़ ह्यूमन रिसोर्सेज, रिसर्च और एडवोकेसी, के बारे में:
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अमृता अपनी शाला की को-फाउंडर हैं। उन्होंने मुंबई युनिवेर्सिटी से बैचलर इन साइकोलॉजी और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज से मास्टर इन सोशल एंटरप्रेन्योर की पढाई की है।

अपनी शाला शुरू करने के पहले, अमृता आकांक्षा फॉउंडशन और आसरा होम फॉर बॉयज में काम कर चुकी हैं। उन्होंने पर्सनल काउन्सलिंग और रैशनल इमोटिव बिहैवियर थेरेपी में ट्रेनिंग भी हासिल की है। २०१३ से वो थिएटर ऑफ़ ओप्प्रेस्सड की फैसिलिटेटर रही हैं। वो २०१३ से २०१६ तक डी बी एस बैंक और TISS के सोशल एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम और २०१७ में विप्रो सीडिंग फेलो रह चुकी हैं। २०१६ में उन्होंने नेशनल सीड प्रोजेक्ट (USA) से डाइवर्सिटी और इन्क्लूज़न की ट्रेनिंग ली और तब से वो हर साल मुंबई में डाइवर्सिटी और इन्क्लूज़न की ट्रेनिंग दे रही हैं। पिछले कुछ सालों में उन्होंने अलग-अलग बैकग्राउंड और संस्थाओं जैसे की नाशिक कैंब्रिज स्कूल और उम्मीद चाइल्ड डेवलपमेंट सेण्टर के स्टाफ, शिक्षकों, अभिभावकों, और संस्था के प्रमुखों को ट्रेनिंग दी है।

ऐप्लकैशन प्रोसेस

इस साल के ऐप्लकैशन अभी बंद हैं। 

डाइवर्सिटी शाला कोहोर्ट २०२१-२२ के लिए आवेदन अभी बंद हैं। 

धन्यवाद उन सभी को जिन्होंने अप्लाइ या रजिस्टर किया। 

हम अगले साल (२०२२) डाइवर्सिटी शाला प्रोग्राम फिर से लेके आएंगे!

डाइवर्सिटी शाला कैसे ट्रेनिंग देता है ?

संरचना

१० महीने x ३ घंटों के सेशन 

विषय 

पार्टिसिपेंट्स अपनी स्वयं की और दूसरों की सामाजिक पहचान के कई पहलुओं पर अपनी समझ को और बेहतर बनाते हैं। वो ये भी देख पाते हैं की ये मुद्दे उनके अभी के काम को कैसे प्रभावित करते हैं। पार्टिसिपेंट्स से अनुरोध किया जाता है कि वे स्वयं इस कार्य के लिए वालंटियर करें। एक क्रॉस-डिवीजनल और क्रॉस-फ़ंक्शनल टीम विविध विचारों के साथ जुड़ाव के लिए सबसे अच्छा काम करती है।

माध्यम

थिएटर, कला, अभिव्यंजक लेखन, छोटे और बड़े समूह चर्चा, जोड़ी-साझा प्रोटोकॉल, कविता और ऑडियो-विज़ुअल संसाधन।

प्रोग्राम की भाषा 

अंग्रेजी और हिन्दी

एक प्रतिभागी के विचार

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डाइवर्सिटी शाला में विविधता पर बातचीत करके अब ६महीने हो गए हैं। मैं एक व्यक्ति के रूप में विकसित हुई हूँ और यह समझना सीख गई हूं कि हमारे आसपास होने वाली दुनिया की घटनाओं के क्या निहितार्थ हैं। हमारे सांसारिक जीवन में, हम आम तौर पर एक ऑटोपायलट मोड पर काम करते हैं और अपने आस-पास होने वाली घटनाओं का जवाब देने के लिए समय नहीं निकालते हैं। विविधता की बातचीत विराम लेने के लिए एक दयालु स्थान प्रदान करती है और धीरे-धीरे हमारे अपने सामाजिक दायरे में विविधता और समावेश के लेंस का निरीक्षण करती है। मैंने महसूस किया कि मुझे दूसरों के विचारों को सुनने के लिए उनके साथ धैर्य विकसित करने की आवश्यकता है, चाहे वह लिंग, वर्ग या किसी अन्य पहचान के बारे में हो। मासिक प्रशिक्षण सेशन्स अच्छी तरह से विकसित होते हैं और कहानियों और विषयों का पता लगाने के लिए पर्याप्त संसाधन और समय प्रदान करते हैं। सह-प्रतिभागियों के भीतर सामूहिक देखभाल का प्रदर्शन किया जाता है और मुझे अपने विचार साझा करने के लिए और अधिक साहसी महसूस कराता है। मासिक सेशन्स का हिस्सा बनने से मुझे खुद को और दुनिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली है। डायवर्सिटी शाला लोगों को उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों में लाभान्वित करेगी।

- बिम्बा  चवान , मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर (मेलबोर्न, फरवरी २०२१)

डाइवर्सिटी ट्रैनिंग का महत्व 

एक तेजी से वैश्वीकृत दुनिया और भारत जैसे विविध देश में, हमारा कार्यबल बहुसांस्कृतिक और विविध होता जा रहा है। विविधता प्रशिक्षण कर्मचारियों को कई दृष्टिकोणों से जुड़ने, विविध टीमों के रूप में सहकर्मियों के साथ बेहतर काम करने और व्यापक दर्शकों के साथ जुड़ाव के लिए रचनात्मक और प्रामाणिक समाधान विकसित करने और इसलिए संगठनात्मक विकास को बढ़ाने के लिए सक्षम बनाता है।

What we do

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